बात छात्रों की नहीं अध्यापिकाओं की भी है. शिक्षक दिवस पर अध्यापक के रूप पढ़ानेवाली विभाग की छात्राओं से मैने कहा कि आप उस लोग उस दिन साड़ी पहिर कर आना क्लास मे स्टूडेंटस को लगना चाहिए तुम आज टीचर हो.एक छात्रा बोली सर सारी मैडम ड्रेस पहिन कर आती हैं आप उन्हें कुछ कहिये न.मैंने कहा वे अपने को सिकस्टीन स्वीट समझती हैं 50 50 किलो के कूल्हे मटक मटक कर चलना तुम उनकी बात छोड़ो.वे मान गयीं.